राजस्थान का गणगौर पर्व

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वसंत के आगमन की खुशी में उदयपुर में मेवाड़ उत्सव तथा जयपुर में देवी पार्वती को समर्पित गणगौर उत्सव की धूम अभी से व्याप्त है। आप इस दृश्य की कल्पना करें ! होली के दूसरे दिन से ही गणगौर का त्योहार आरंभ हो चुका है जो पूरे 18 दिनों तक लगातार चलता रहेगा। बड़े सवेरे ही गाती-बजाती स्त्रियां होली की राख अपने घर ले गईं। मिट्टी गलाकर उससे सोलह पिंडियां बनाईं, दीवार पर सोलह बिंदियां कुंकुम की, सोलह बिंदिया मेहंदी की और सोलह बिंदिया काजल की प्रतिदिन लगा रही हैं – कुंकुम, मेहंदी और काजल तीनों ही श्रृंगार की वस्तुएं हैं, सुहाग का प्रतीक ! शंकर को पूजती कुंआरी कन्याएं प्रार्थना कर रही हैं मनचाहा वर प्राप्ति की। खूबसूरत मौसम उनकी कामना को अपना मौन समर्थन देता जान पड़ रहा है।

जयपुर में गणगौर महिलाओं का उत्सव नाम से भी प्रसिद्ध है। कुंवारी लड़कियां मनपसंद वर की कामना करती हैं तो विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। अलग-अलग समूहों में महिलाओं द्वारा लोकगीत गाते हुए फूल तोड़ने तथा कुओं से पानी भरने का दृश्य लोगों की निगाहें ठहरा रहा है तो कहीं मोड़ रहा है। लोक संगीत की धुनें पारंपरिक लोक नृत्य पर हावी हो रही हैं।

 

गणगौर उद्यापन की सामग्री Gangaur Udyapan Samagri

गणगौर उद्यापन की सामग्री Gangaur Udyapan Samagri

 

Gangaur Vrat Katha (गणगौर व्रत कथा)

Gangaur Vrat Katha (गणगौर व्रत कथा)

 

Gangaur festival pooja mahatv

Gangaur festival pooja mahatv

 

गणगौर पूजन की विधी Gangaur festival pooja vidhi

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Gangaur Pujan Samagri

Gangaur Pujan Samagri

 

Gangaur Ke Geet

Gangaur Ke Geet

 

गणगौर उद्यापन की विधि (Gangaur Udyapan vidhi )

गणगौर उद्यापन की विधि (Gangaur Udyapan vidhi )


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